
सहज नहीं होता
औरत होना
गर्भ में थामे रखनी पड़ती है
पूरी पृथ्वी
हम हैं
जीवन है
दुःख-सुख
खुशियां- आंसू हैं
जीवन के लिए
औरत की कोख
चाहिए होती है
दुःख भुलाने को
प्रेमिका की आंखों का
एक कोना
आसान नहीं होता
औरत का होना
पूरी कायनात समेटे रहती है
अपने आंचल में वह
घर-परिवार
हम-तुम

सभी सिमटे
उसकी बांहों में
जहां बरसता है
सिर्फ स्नेह
आसान नहीं होता
किसी के प्रेम में मिले
आनंद को भुला देना
औरत होना
मानो धरती होना है।
- कमलेश पांडेय