Sunday, September 14, 2008

कल ऐसा ही होगा

कल उनका जिक्र
सिर्फ दस्तावेजों में होगा
जिन्होंने
कैद कर रखा है
चांद
अपनी तिजोरियों में

यकीन मानो
कल
सिर्फ उनका है
जिनके हाथों धधक रहा है
आज सूरज

सच कहता हूं -
कल ऐसा ही होगा
बस
थोड़ी सी आग बांट लो।
-००-
अंतर्संबंध

मंदिर- मस्जिद के झगड़े
और
सोमालिया के भूखे मृतकों के बीच
अंतर्संबंधों को जानते हो, मित्र
राजपथ-
आज राजपथों पर छा गये हैं
नरपशु
और
जनता सुरक्षित नहीं।
-०००

एक ही स्वर

मंदिरों के श्लोक
मस्जिदों के अजान
चर्चों की घंटियों में गूंजतू
ध्वनि को पहचाना है
तुमने साथी

सुनो ध्यान से-
सदियों से गूंज रही है
एक ही आवाज,
एक नयी सुबह
जब
नहीं होगा बच्चों की आंखों में कोई खौफ
तितलियां होंगी फूलों में मशगूल
माताएं भोजन पकाने में व्यस्त
तमाम पिता कार्यरत
और
हौले से घिरती
सुहानी शाम
-००-

संघर्ष परिलक्षित

अंधेरे से उजाले के बीच
जाने का प्रयास करती
हमारी पीढ़ी का संघर्ष
क्या लक्षित नहीं कर पा रहे हो
ओ धृतराष्ट्र
या
जब
दहकती धमनियों के रक्त
की लालिमा से
प्रभासित होगा दिंगत
और
न्याय पाने हेतु
उठ खड़े होंगे
झुकी पीठ औ कमर वाले लोग,
यकीकन -
तब तुम्हारी आंख खुलेगी
धृतराष्ट्र
विश्वास करो-
मैं देख रहा हूं
भींचती मुट्ठियां
और तनते कमर
-००-
उच्छवास

मैं शब्दों से हथियार गढ़ता हूं
पूछो
उसका क्या इस्तेमाल करता हूं
उनके विरुद्ध
जिन्होंने शब्दों को कैद रखा मुट्ठियों में,
भावनाएं जिनकी क्रीतदासी हैं
इन दानवों के विरुद्ध हथियार भांजता हूं।

मैं
शब्दों से कुदाल गढ़ता हूं
कृषक श्रम-स्वेद रत
उनके निमित्त कुदाल गढ़ता हूं
मैं
शब्दों से ताप हरता हूं
संताप हरता हूं
उस श्रमिक का
जो श्रम क्लांत प्रतीक्षा में
घर लौटने की

शब्द मेरे समीप
हथियार- फूल- हास- परिहास
पर इससे बढ़कर
उस सर्जक के उच्छवास
जो तनकर खड़ा होता है
किसी रावण के विरुद्ध।
-००-

परिवर्तन
झरते हैं
फूल से शब्द-
जब मचलती है
किसी हृदय में कविता।
वे ही शब्द
धारदार अस्त्र बन उठते हैं
जब
कोई किसी का अधिकार लूटता है।
प्राणहंता बन उठते हैं
शब्द
जब
रावण किसी की अस्मिता को
अपनी अशओक वाटिका में
कैद कर लाता है।

हाहाकार मचाते आते हैं
अग्निल शब्द
और जल उठती है
सोने की लंका

वे ही शब्द
क्लांत- बेसुध
हो उठते हैं,
जब
किसी वनवासी राम
के होठों बजने लगती है सत्ता की बांसुरी
और
सीता भेज दी जाती है वनवास
शब्द
हार मान चुप बैठ जाते हैं
जब
उनमें
सत्ता का दंभ समाता है

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