Friday, April 2, 2010

यक्ष प्रश्न-१

कई बार
यह प्रश्न सालता है मुझे-
दुनिया जो मिली ऍसी
क्या ऍसी ही मिलनी चाहिए थी
या
जो दुनिया हम छोड़ जायेंगे
ऍसी ही छोड़ कर जाना चाहिए
हमें
अक्सर यह प्रश्न मथता है-
हममें से कइयों को कई बार,
क्या
सबको यह नहीं मथना चाहिए?
कई बार
सोचता हूं
संगीत के ऊपर भी
तारी क्यों हैं
भाषण/नारे/बम/ विस्फोटों की आवाज
अक्सर
हममें से कई
इस पर सोचते हैं
कई बार
पर क्या
सबको नहीं सोचना चाहिए?
कल "ककहरा" सीखते
बालक ने पूछ लिया सवाल
"इन्सान क्या होता है?"
हत्वाक सोचता रह गया मैं
क्या
इस सवाल का जवाब
हमें नहीं ढूंढना चाहिए?

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